
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। सत्ता और विपक्ष दोनों इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
यूपी विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को प्रारम्भ हो गया। मानसून सत्र के पहले दिन सरकार और विपक्ष में टक्कर देखने को मिली। गतिरोध की मुख्य वजह सपा के कुछ विधायकों द्वारा दिया गया विशेष नोटिस बताया जा रहा है। सपा के कुछ विधायकों ने जनहित के मुद्दों बाढ़, बेरोजगारी और बिजली पर चर्चा कराने के लिए नियम-56 के तहत विशेष नोटिस दिया था।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि समाजवादी पार्टी नहीं चाहती की सदन चले। हम जवाब देने को तैयार हैं।
इस बीच सपा के विधायक लगातार नारेबाजी करते रहे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने सरकार पर हठधर्मिता का आरोप लगाया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर सदन में जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी तो फिर किस पर चर्चा होगी।
बार-बार निवेदन करते रहे विधानसभा अध्यक्ष महाना
विपक्ष के विधायकों द्वारा नियम-56 के तहत दिए गए नोटिस को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने तुरंत स्वीकार नहीं किया। उन्होंने पहले कहा कि विपक्ष के विधायक पहले ये बताएं कि क्या ये मुद्दे इतने जरूरी हैं। बताते चलें कि नियम-56 के तहत काम रोक बेहद जरुरी और अति आवश्यक सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा की जाती है। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सपा के विधायकों से बार-बार नियम-56 के तहत अपनी बात रखने की अपील कर रहे थे पर सपा के विधायक नारेबाजी करते रहे।
सरकार ने पेश किये चार बिल
मानसून सत्र में हंगामे के बीच यूपी सरकार ने चार विधेयक पेश किए। प्राप्त जानकारी और एक बयान के अनुसार उत्तर प्रदेश निरसन विधेयक, 2025, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय ( द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025, और उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2025 को सम्बंधित मंत्रियों ने सदन में पेश किया।