सीएम योगी ने गोरखा रेजिमेंट और सैनिकों का आभार जताया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों के सामने विकसित भारत के लिए पंचप्रण के संकल्प से जुड़ने का आह्वान किया था। पंचप्रण में देश से गुलामी के अंशों को सर्वथा समाप्त करना, अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति करना, वीर सैनिकों के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करना, सामाजिक एकता के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य करना और अपने कर्तव्यों के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना शामिल है। आज हम भारत सेना के वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए गोरखा रेजीमेण्ट सेण्टर में एकत्र हुए हैं। सीएम आज जनपद गोरखपुर में गोरखा युद्ध स्मारक के सौन्दर्यीकरण कार्य एवं संग्रहालय परियोजना का शिलान्यास करने के उपरान्त इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम में वीर नारियों को सम्मानित भी किया। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की पंक्तियों ‘कलम, आज उनकी जय बोल, कलम, आज उनकी की जय बोल। जला अस्थियां बारी-बारी, चिटकाई जिनमें चिंगारी। जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल। कलम, आज उनकी जय बोल। अंधा चकाचौंध का मारा, क्या जाने इतिहास बेचारा। साखी हैं उनकी महिमा के, सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल। कलम, आज उनकी जय बोल, कलम, आज उनकी जय बोल’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का लोहा दुनिया ने माना है। जब गोरखा सैनिक ‘जय महाकाली जय गोरखाली’ के आह्वान के साथ शत्रु पर टूट पड़ते हैं, तो शत्रु पीछे हटने के लिए मजबूर हो जाता है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 1816 में अंग्रेजों और गोरखा सैनिकों के बीच में युद्ध हुआ था। अंग्रेज गोरखा सैनिकों का सामना नहीं कर पाए और उन्हें सन्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उसके उपरान्त ब्रिटिश आर्मी ने भी उनके शौर्य और पराक्रम को समझा था। ब्रिटिश आर्मी में भी गोरखा सैनिकों के लिए द्वार खुले थे। अंग्रेजों ने उनकी बहादुरी के लिए और मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण के भाव को सम्मान दिया था। परिणामस्वरूप जब भी गोरखा सैनिकों को अवसर प्राप्त हुआ, उन्होंने अपनी वीरता का लोहा मनवाया।

सीएम ने कहा कि हमारे यहां महायोगी गुरु गोरखनाथ की परम्परा में देवी महाकाली की पूजा होती है। जहां भी बाबा गोरखनाथ जी के मन्दिर हैं, वहां पर काली जी का मन्दिर भी जरूर होगा। महाकाली, शक्ति की प्रतीक हैं और महायोगी गोरखनाथ, शिव के प्रतीक हैं। शिव और शक्ति का समन्वय ही जीवन का रहस्य है। गोरखाओं से ज्यादा इस रहस्य को कोई नहीं जान सकता। गोरखाओं ने जीवन के इस रहस्य को जानकर कभी मौत की परवाह नहीं की और शत्रु पर टूट पड़े। जिससे भी लड़े, उन्होंने वहां विजयश्री का वरण किया। सन् 1816 के ब्रिटिश गोरखा युद्ध के बाद ब्रिटिश सेवा में तथा स्वतंत्र भारत में भी गोरखा सैनिकों ने अलग-अलग मोर्चां पर लड़ाई लड़ी। जहां भी उन्हें तैनात किया गया, भारतीय सेना का हिस्सा बनकर गोरखा सैनिकों ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया और शत्रु को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यहां गोरखा भर्ती डिपो (जी0आर0डी0) में वीर गोरखा सैनिकों के पराक्रम का प्रतीक स्मारक भव्य स्वरूप ले सके, इस कार्य का शुभारम्भ होने जा रहा है। यह भव्य स्वरूप उन सैनिकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम बनेगा, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया। उनकी स्मृतियों को जीवन्त बनाए रखने, भावी पीढ़ी को एक नई प्रेरणा प्रदान करने तथा भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक सम्बन्धों को एक नया आयाम देने के एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। मुख्यमंत्री ने चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल अनिल चौहान को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी व्यस्तता के बावजूद गोरखा रेजीमेण्ट के युद्ध स्मारक को एक भव्य स्वरूप देने और यहां एक म्यूजियम के शिलान्यास कार्यक्रम में अपना समय दिया। किसी भी जाति अथवा कौम का इतिहास तब तक अधूरा है, जब तक वह अपने शौर्य और पराक्रम को सम्मान नहीं देता है। अपनी परम्पराओं को सम्मान देकर ही कोई जाति आगे बढ़ सकती है और भावी पीढ़ी के लिए अपनी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ा सकती है। यह कार्य आज यहां गोरखपुर के गोरखा भर्ती डिपो (जी0आर0डी0) में किया जा रहा है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यहां बना स्मारक 100 साल पुराना था। इसे वर्तमान के अनुरूप भव्य स्वरूप देने तथा एक म्यूजियम बनाए जाने की दृष्टि से यहां कार्य प्रारम्भ किए गए हैं। गोरखा रेजीमेण्ट के गठन से लेकर वर्तमान तक उनकी यूनिफॉर्म, अस्त्र-शस्त्र तथा युद्धकला में हुए परिवर्तन आदि का यहां प्रदर्शन किया जाएगा। यह वर्तमान के साथ ही भावी पीढ़ी के लिए एक नई प्रेरणा होंगे। स्मारक और म्यूजियम वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करने का माध्यम बनेंगे। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस बल देश व दुनिया का सबसे बड़ा पुलिस बल है। प्रदेश में लगभग साढ़े चार लाख पुलिस कार्मिक हैं। राजनीतिक दुराग्रह के तहत पी0ए0सी0 की कुछ कम्पनियों को समाप्त कर दिया गया था। हमारी सरकार बनने के बाद उनका पुनर्गठन किया गया। हमने हर पुलिस लाइन तथा हर पी0ए0सी0 वाहिनी में एक पुलिस स्मारक बनाए जाने की कार्यवाही आगे बढ़ाई है। यह पुलिस बल की वीरता को प्रस्तुत करते हुए उनकी विकास यात्रा को आगे बढ़ाने का प्रतीक होगा। आने वाली पीढ़ी को लाभान्वित करने के लिए रेप्लिकाओं के माध्यम से पुलिस स्मारक में अपना गौरवशाली इतिहास प्रदर्शित किया जाएगा। इसे हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ी को प्रेरणा प्राप्त होगी। इतिहास हमारा आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। इतिहास हमारी गौरवगाथा का पुनर्मूल्यांकन और आत्ममंथन करने का अवसर भी प्रदान करता है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह पूरी भूमि गोरखा ब्रिगेड की है। राज्य सरकार यहां बन रहे म्यूजियम और स्मारक में सहयोग कर रही है। गोरखा रेजीमेण्ट के लिए यह अत्यन्त गौरवशाली है कि भारतीय सेना के पहले दो चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल बिपिन रावत और जनरल अनिल चौहान गोरखा रेजीमेण्ट से जुड़े रहे हैं। कारगिल युद्ध में अपने अप्रतिम शौर्य और पराक्रम का परिचय देने वाले कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय गोरखा ब्रिगेड की ही देन थे। हमारी सरकार ने कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के नाम पर लखनऊ सैनिक स्कूल का नामकरण किया है। यह देश का पहला सैनिक स्कूल है। इसने देश में सैनिक स्कूलों की एक नई परम्परा को आगे बढ़ाया है। यह प्रसन्नता का विषय है कि हमने राज्य सरकार के स्तर पर गोरखपुर में भी एक सैनिक स्कूल की स्थापना की है। इससे भारतीय सेना के प्रति हमारे नौजवानों में एक आकर्षक और गौरव का भाव पैदा हो सकेगा।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2047 के विकसित भारत के संकल्प के साथ हर भारतवासी जुड़े। हर भारतीय के मन में विकसित भारत के लिए एक भाव पैदा होना चाहिए। विकसित भारत का संकल्प तब पूरा होगा, जब हम राष्ट्रप्रथम के भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार अपने वीर सैनिकों के कल्याण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। वर्ष 2017 में सरकार बनने के बाद से ही हमने यह सुनिश्चित किया कि यदि भारतीय सेना, पैरामिलिट्री या पुलिस बल का कोई जवान युद्ध क्षेत्र में अथवा देश की सुरक्षा के लिए शहीद होता है, तो प्रदेश सरकार अपनी ओर से उसके परिवार को 50 लाख रुपये की सहायता देती है, उस परिवार के एक सदस्य को उत्तर प्रदेश सरकार की शासकीय सेवा में नौकरी देती है और उनके नाम पर उनके गांव के मार्ग का नामकरण किया जाता है या उनका कोई स्मारक बनाने का कार्य किया जाता है। हमने उत्तर प्रदेश पुलिस बल में अग्निवीर सैनिकों के लिए 20 प्रतिशत हॉरिजेण्टल रिजर्वेशन की व्यवस्था भी की है।केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्री कमलेश पासवान ने कहा कि यह परियोजना गोरखा सैनिकों के त्याग, बलिदान, समर्पण तथा अनुशासन से भावी पीढ़ी को परिचित कराते हुए प्रेरणा प्रदान करेगी। विगत 08 वर्षां में गोरखपुर में आधारभूत अवसंरचना के निर्माण एवं अन्य विकास कार्यां में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में गोरखपुर में विकास की गंगा बह रही है।चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने गोरखा युद्ध स्मारक के सौन्दर्यीकरण एवं संग्रहालय परियोजना की पहल के लिए मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक है। यह स्मारक गोरखा सैनिक और भारतीय सेना के करीबी रिश्तों की पहचान बनेगा।इस अवसर पर सांसद श्री रवि किशन शुक्ल, गोरखपुर के महापौर डॉ0 मंगलेश श्रीवास्तव सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा गोरखा रेजीमेण्ट से जुड़े वीर सैनिकों के परिजन, पूर्व सैनिक, आर्मी स्कूल और गोरखपुर सैनिक स्कूल के कैण्डिडेट्स उपस्थित थे।

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