
डेस्क। पिछले पांच दशकों में बिहार की कहानी अधूरी संभावनाओं की रही है। यहां की युवा आबादी रोजगार की तलाश में पलायन करती रही, उद्योग ठहरते गए और बिजली की कमी ने विकास की रफ्तार को थाम दिया। मगर हर परिवर्तन एक चिंगारी से शुरू होता है और बिहार के लिए वह चिंगारी अब भागलपुर पावर प्रोजेक्ट हो सकता है।
अदाणी पावर द्वारा विकसित किया जा रहा 2,400 मेगावॉट का थर्मल पावर प्लांट, ₹30,000 करोड़ के निवेश के साथ, सिर्फ एक औद्योगिक परियोजना नहीं है यह बिहार की नई आर्थिक पहचान का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि पारदर्शिता, सुशासन और प्रतिबद्धता के साथ, निजी निवेश भी अब पूर्वी भारत की धरती पर मजबूती से कदम रख सकता है।
जब बिहार स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड ने इस परियोजना की परिकल्पना 2012 में की थी, तब बहुतों को यकीन नहीं था कि यह कभी हकीकत बनेगी। वर्षों की देरी के बाद, सरकार ने 2024 में इसे ई-नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से पुनर्जीवित किया। अदाणी समूह ने प्रतिस्पर्धी दर ₹6.075 प्रति यूनिट की पेशकश के साथ यह परियोजना हासिल की, जो देश के अन्य समान प्रोजेक्ट्स की तुलना में कम है। सबसे महत्वपूर्ण बात इसके लिए कोई नई भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ। सरकारी स्वामित्व वाली भूमि को लीज़ पर देकर जनहित और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित किए गए।विशेषज्ञों के मुताबिक, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में लगाए गए हर ₹1 करोड़ पर 200 से 250 मैन-इयर्स का रोजगार सृजित होता है। इस हिसाब से यह प्रोजेक्ट अकेले लाखों मानव-दिवसों का रोज़गार अवसर पैदा करेगा। यह स्थानीय मजदूरों, इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए रोजगार का नया दरवाजा खोलेगा।
इस परियोजना से बिहार की औद्योगिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव आने की संभावना है। बिजली की स्थिर आपूर्ति से राज्य में विनिर्माण उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, लॉजिस्टिक्स और छोटे उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। ऊर्जा ही वह आधार है जो उद्योगों को गति देती है और आर्थिक विकास का इंजन बनती है। अदाणी का भागलपुर प्रोजेक्ट इसी शक्ति का प्रतीक है—जहां निवेश केवल उत्पादन नहीं, बल्कि विकास और विश्वास दोनों का माध्यम बनता है।इस परियोजना का समय भी अत्यंत अहम है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, अगले दशक में बिहार की बिजली मांग लगभग दोगुनी होने जा रही है। अगर नए उत्पादन संयंत्र स्थापित नहीं किए गए, तो राज्य एक बार फिर ऊर्जा संकट में फंस सकता है।
भागलपुर पावर प्रोजेक्ट इस कमी को पूरा करेगा और औद्योगिक विकास को नई गति देगा।परियोजना का प्रभाव केवल बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं रहेगा। इतनी बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई जान डालेगी। निर्माण सामग्री, लॉजिस्टिक्स, परिवहन, रखरखाव और सेवा क्षेत्रों में हजारों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। स्थानीय युवाओं के लिए यह अवसर उनके अपने घर में रोजगार का नया द्वार खोलेगा।सबसे गहरा असर मानसिकता पर होगा। दशकों से बिहार को एक ऐसे राज्य के रूप में देखा जाता रहा है, जहां से लोग काम की तलाश में बाहर जाते हैं। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है भागलपुर प्रोजेक्ट उस सोच को उलटने वाला प्रतीक बन सकता है। यह संदेश देता है कि अब “काम बिहार में मिलेगा, बिहार के लिए मिलेगा।”अगर राज्य इसी राह पर आगे बढ़ता रहा पारदर्शी नीतियों और विश्वसनीय निवेशकों का स्वागत करता रहा तो आने वाले वर्षों में बिहार अपनी आर्थिक भूगोल को दोबारा लिख सकता है। भागलपुर सिर्फ एक पावर प्रोजेक्ट नहीं है, यह एक नई सुबह की शुरुआत है उस बिहार की, जो अब अपना श्रम नहीं, अपनी शक्ति निर्यात करेगा।
आंकड़े बताते हैं कि बिहार की प्रति व्यक्ति जीडीपी केवल 776 अमेरिकी डॉलर है, जबकि बिजली की प्रति व्यक्ति खपत मात्र 317 किलोवाट प्रति घंटा है, जो देश के प्रमुख राज्यों में सबसे कम है। तुलना करें तो गुजरात की प्रति व्यक्ति बिजली खपत 1,980 किलोवाट प्रति घंटा और प्रति व्यक्ति जीडीपी 3,917 अमेरिकी डॉलर है। स्पष्ट है कि जहां बिजली है, वहां समृद्धि है। जहां बिजली की स्थायी उपलब्धता होती है, वहां उद्योग बढ़ते हैं, रोजगार बनते हैं और आय बढ़ती है। जहां बिजली नहीं, वहां युवाओं को पलायन करना पड़ता है। आज बिहार के लगभग 3.4 करोड़ श्रमिक रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं।महत्वपूर्ण यह है कि इस परियोजना के लिए किसी नई भूमि हस्तांतरण की आवश्यकता नहीं पड़ी। भूमि पहले से ही राज्य सरकार के स्वामित्व में है और इसे बिहार इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2025 के तहत नाममात्र किराए पर लीज़ पर दिया गया है। परियोजना की अवधि पूरी होने के बाद यह भूमि स्वतः राज्य सरकार को लौट जाएगी। यह प्रक्रिया दिखाती है कि बिहार अब निवेश आकर्षित करने के लिए पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी मॉडल अपना रहा है, जहां जनता के हित और निवेशक का विश्वास दोनों सुरक्षित हैं।बिहार की सबसे बड़ी चुनौती हमेशा ऊर्जा की कमी रही है। यह प्रोजेक्ट उस कमी को दूर करने के साथ-साथ राज्य को निवेश आधारित विकास की राह पर ले जाएगा। यह सिर्फ बिजली का नहीं, बल्कि बिहार के आत्मविश्वास का प्रोजेक्ट है। दशकों से बिहार के युवा दूसरे राज्यों में जाकर फैक्ट्रियों को रोशन करते रहे हैं, अब वही रोशनी उनके अपने घरों और शहरों में लौटेगी। अदाणी का भागलपुर पावर प्रोजेक्ट बिहार को ऊर्जा, रोजगार और विकास की नई दिशा देने वाला है जहां हर गांव और हर घर में ‘रोशनी’ ही नई कहानी लिखेगी।



