
लखनऊ। बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मामला और तूल पकड़ता जा रहा है। विपक्ष (इंडिया गठबंधन) संयुक्त रूप से लोक सभा में इस पर चर्चा की मांग कर रहा है। संसद का वर्तमान मानसून अपने शुरुआत से ही इसकी भेंट चढ़ रहा है। पहलगाम हमले में मारे गए छब्बीस निर्दोष नागरिकों, ऑपरेशन सिन्दूर और एसआईआर इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी साझे विपक्ष ने पहले ही कर ली थी। इसके लिए विपक्ष ने आठ सवाल भी तैयार कर लिया था।
लम्बे गतिरोध के बाद ऑपरेशन सिन्दूर पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा हुई। अब विपक्ष एसआईआर पर भी चर्चा की मांग लगातार कर रहा है। संसद भवन में इसको लेकर प्रतिदिन प्रदर्शन भी करता है। पर फिलहाल सरकार इस पर चर्चा कराने को तैयार नहीं दिखती। जिसकी वजह से संसद का मानसून सत्र हर रोज़ स्थगित होता है।
65 लाख काटे गए नामों को प्रकाशित कराने की माँग
दूसरी तरफ एसआईआर का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है, जहां 12 अगस्त को सुनवाई होनी है। बुधवार को एडीआर द्वारा दायर एक नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस याचिका में एसआईआर के ड्राफ्ट से हटाए गए 65 लाख नामों का मुद्दा उठाया गया है। साथ ही ये मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को इन नामों को प्रकाशित करवाने का निर्देश दे। सुनवाई के दौरान एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जिन लोगों के आवेदन फॉर्म प्राप्त हुए हैं उनमें से ज्यादातर ने आवेदन फॉर्म नहीं दिया है। चुनाव आयोग की तरफ से जवाब में कहा गया कि जिनके नाम काटे गए हैं, उनकी सूची विभिन्न राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई गई है। इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से हलफनामा मांगा है।