दिवाली से एक दिन पहले कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। आज नरक चुतर्दशी है। इसे छोटी दिवाली और रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसे यम दीपावली भी कहते हैं क्योंकि इस दिन संध्या के समय यमराज के नाम से दीप जलाया जाता है।
मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में तेल लगाकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिल जाती है। वहीं कुछ लोग इस दिन शाम के समय यमराज के नाम का दीप जलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दीप को जलाने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है।
यहां जानें नरक चतुर्दशी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन सुबह तेल लगाकर अपामार्ग की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन विधि विधान पूजा करने से स्वर्ग मिलता है। धार्मिक कथाओं में बताया गया है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस दिन लोग अपने घर के मुख्य द्वार के बाहर यम के नाम का चौमुखा दीपक जलाते हैं। इससे अकाल मृत्यु कभी नहीं आती है।